नई दिल्ली। भारत सरकार 7 मई 2025 को देश के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रही है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि आपदा या युद्ध जैसे हालात—जैसे मिसाइल या हवाई हमले—के दौरान आम जनता और आपातकालीन सेवाएं कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे सकती हैं।इस मॉक ड्रिल में वास्तविक हालात जैसे दृश्य बनाए जाएंगे। सायरनों की आवाज, बिजली कटौती, नागरिकों का शरण लेना, और त्वरित आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसी गतिविधियां इसमें शामिल होंगी। इस तरह की कवायद से न केवल जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, बल्कि आम जनमानस में घबराहट को भी कम किया जा सकेगा।हालांकि इस तरह के अभ्यास शीत युद्ध के समय की याद दिलाते हैं, लेकिन वर्तमान वैश्विक सुरक्षा तनाव...
नई दिल्ली। भारत सरकार 7 मई 2025 को देश के 244 चिन्हित सिविल डिफेंस जिलों में एक व्यापक मॉक ड्रिल आयोजित करने जा रही है। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि आपदा या युद्ध जैसे हालात—जैसे मिसाइल या हवाई हमले—के दौरान आम जनता और आपातकालीन सेवाएं कितनी तेजी और प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे सकती हैं।
इस मॉक ड्रिल में वास्तविक हालात जैसे दृश्य बनाए जाएंगे। सायरनों की आवाज, बिजली कटौती, नागरिकों का शरण लेना, और त्वरित आपातकालीन प्रतिक्रिया जैसी गतिविधियां इसमें शामिल होंगी। इस तरह की कवायद से न केवल जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, बल्कि आम जनमानस में घबराहट को भी कम किया जा सकेगा।
हालांकि इस तरह के अभ्यास शीत युद्ध के समय की याद दिलाते हैं, लेकिन वर्तमान वैश्विक सुरक्षा तनावों के बीच इनकी प्रासंगिकता एक बार फिर से बढ़ गई है। गृह मंत्रालय ने 2 मई को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश जारी कर इस अभ्यास की तैयारी सुनिश्चित करने को कहा। यह ड्रिल सिविल डिफेंस रूल्स, 1968 के अंतर्गत आयोजित की जा रही है।
ड्रिल में स्थानीय प्रशासन के अलावा सिविल डिफेंस वार्डन, होम गार्ड्स, एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र संगठन और स्कूल-कॉलेजों के छात्र भी भाग लेंगे। यह भागीदारी इस बात का संकेत है कि राष्ट्रीय सुरक्षा केवल सेना की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि नागरिक जागरूकता और तत्परता भी उतनी ही आवश्यक है।
ड्रिल के प्रमुख बिंदु:
संवेदनशील क्षेत्रों में सायरनों का परीक्षण
स्कूलों, कार्यालयों और सामुदायिक केंद्रों में सुरक्षा कार्यशालाएं
'ड्रॉप-एंड-कवर', प्राथमिक उपचार, मानसिक स्थिरता बनाए रखने का प्रशिक्षण
रात के समय बिजली कटौती और सामरिक ढांचों की छलावरण तकनीक
उच्च-जोखिम वाले क्षेत्रों से नागरिकों का स्थानांतरण अभ्यास
गौरतलब है कि इस प्रकार की ब्लैकआउट तकनीक पिछली बार 1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान अपनाई गई थी।
क्या है इस अभ्यास की पृष्ठभूमि?
हालांकि यह ड्रिल किसी एक घटना से जुड़ी नहीं है, लेकिन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार की तैयारियों का हिस्सा मानी जा रही है। उस हमले में 26 भारतीय पर्यटकों की जान गई थी, जिसमें पाकिस्तान-समर्थित आतंकियों का हाथ होने की आशंका है।
हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उच्चस्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठकें कीं और सख्त कार्रवाई की बात कही। इससे पहले अक्टूबर 2022 में हुए चिंतन शिविर में भी सिविल डिफेंस को मज़बूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
राज्यों से मांगी गई रिपोर्ट
गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि ड्रिल के पश्चात "एक्शन टेकन रिपोर्ट" प्रस्तुत की जाए, जिसमें किए गए उपाय, सीखी गई बातें और सुधार के सुझाव शामिल हों। इसके अलावा, सीमावर्ती और तटीय क्षेत्रों में सिविल डिफेंस की क्षमता बढ़ाने के लिए पहले भी जनवरी 2023 में गृह सचिव की ओर से पत्र भेजा जा चुका है।
7 मई से पूर्व फिरोजपुर छावनी में आयोजित एक 30 मिनट की ब्लैकआउट ड्रिल इस राष्ट्रीय अभ्यास की झलक पहले ही दिखा चुकी है।