आगरा के लोहामंडी, तोता का ताल बाजार के दुकानदारों में नगर निगम के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने खुद ही अतिक्रमण हटाना तो शुरू कर दिया है लेकिन इस बीच बाउंसरों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिरकार जब नगर निगम के पास टास्क फोर्स मौजूद है तो बाउंसरों को अतिक्रमण हटाओ अभियान में क्यों लगाया गया? क्योंकि उनकी भर्ती तो यमुना रक्षक दल में हुई थी।इसके लिए हुई थी इनकी भर्ती यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए इसमें पशुओं का प्रवेश बंद है। इसको रोकने के लिए लगभग ढाई साल पहले यमुना रक्षक दल बनाया गया था। इसमें लगभग 17 बाउंसरों की की भर्ती की गई थी। इनका काम यमुना में पशुओं को जाने से रोकना था। साथ ही यमुना में गंदगी करने वालों पर नजर रखा था। जिससे कि यमुना में प्रदूषण घुलने से रोका जा सके। मगर, यम...
आगरा के लोहामंडी, तोता का ताल बाजार के दुकानदारों में नगर निगम के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने खुद ही अतिक्रमण हटाना तो शुरू कर दिया है लेकिन इस बीच बाउंसरों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं। आखिरकार जब नगर निगम के पास टास्क फोर्स मौजूद है तो बाउंसरों को अतिक्रमण हटाओ अभियान में क्यों लगाया गया? क्योंकि उनकी भर्ती तो यमुना रक्षक दल में हुई थी।
इसके लिए हुई थी इनकी भर्ती यमुना को प्रदूषण से बचाने के लिए इसमें पशुओं का प्रवेश बंद है। इसको रोकने के लिए लगभग ढाई साल पहले यमुना रक्षक दल बनाया गया था। इसमें लगभग 17 बाउंसरों की की भर्ती की गई थी। इनका काम यमुना में पशुओं को जाने से रोकना था। साथ ही यमुना में गंदगी करने वालों पर नजर रखा था। जिससे कि यमुना में प्रदूषण घुलने से रोका जा सके। मगर, यमुना रक्षक दल में भर्ती हुए बाउंसर एक भी दिन यमुना की निगरानी करने नहीं गए।
11 फरवरी को कराया था बवाल नगर निगम के अधिकारी इनका उपयोग अतिक्रमण हटाओ अभियान के दौरान करने लगे। 11 फरवरी को लोहामंडी, तोता का ताल में दुकानदारों के साथ मारपीट भी इन्होंने ही की थी। सोशल मीडिया पर इनका वीडियो खूब वायरल हुआ। इन्होंने दुकानदारों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। जबकि अतिक्रमण हटाओ अभियान के लिए नगर निगम के पास टास्ट फोर्स मौजूद है। इनमें रिटायर्ड सैनिकों को रखा गया है।
पार्षद का ये है कहना पार्षद शरद चौहान का कहना है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए कि बाउंसरों को अतिक्रमण हटाओ अभियान में किसके आदेश पर लगाया गया। हालांकि इन्हें अब हटा दिया गया है लेकिन इनकी जांच तो होनी ही चाहिए। इधर, दुकानदारों में आक्रोश तो व्याप्त है लेकिन सड़क को चौड़ा करने और नाला बनाने में पूरा सहयोग करने को तैयार हैं। उन्होंने खुद ही अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया है। नगर निगम द्वारा क्षतिग्रस्त की गई दुकानों की मरम्मत करना शुरू कर दिया है। नया ठेकेदार न आने के कारण अब तक यहां नाला निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो सका है।