खतौली! प्राप्त समाचार के अनुसार श्री कृष्णदास विपिन भारद्वाज जी ने सीता हरण ,शबरी व बालिवध की कथा का वर्णन करते हुए बताया सूर्पनखा रावण की बहन राम लक्ष्मण को पंचवटी पर देखी है और मोहित हो जाती है राम से कहती है कि तुम सम पुरुष ने मो सम नारी मुझे विवाह कर लो। इसका कृत्य देखकर लक्ष्मण इसके नाक कान काट देते हैं। तब सूर्पनखा अपने भाई लंका पति रावण से सब वृतांत बताती है।और लंका पति रावण मारीच को सोने का मृग बनाकर पंचवटी भेजता हैं।
सीता बार-बार राम को अनुरोध करती है कि इस मृग को पकड़ कर लाओ राम मृग के पीछे जाते हैं मृग बने मारीच को श्री राम बाण मारते हैं मारीच मरते समय लक्ष्मण का नाम लेता है। सीता जी लक्ष्मण को राम के पीछे भेज देती है। मौका देखकर रावण साधु का वेश बनाकर सीता जी का हरण कर लेता है। गिद्धराज जटायु सीता को बचना चाहते हैं किंतु रावण उनके पंख काट देता है। आश्रम में सीता को न देखकर राम बहुत प्रलाप करते हैं। आगे जटायु जी पर कृपा करते हुए शबरी के आश्रम पहुंचकर वर्षों की तपस्या का फल देते हैं। फिर श्री राम आगे जाते हैं तो श्री हनुमान जी से भेंट होती है।सुग्रीव से मित्रता होती है। राम के हाथों बालि का वध होता है। यह प्रसंग सुनाकर महाराज श्री कृष्ण दास विपिन जी ने सभी श्रोताओं को मंत्र-मुद्र कर दियामहाराज जी के सुन्दर-सुन्दर भजनों पर श्रद्धालु झूम उठे। मुख्य रूप से कमेटी के प्रधान मनोज अग्रवाल,दीपक गर्ग( सी.ए),मंत्री मुकेश अग्रवाल,कोषाध्यक्ष पंकज भटनागर,भावेश गुप्ता,संजीव मिश्रा, अरविंद वर्मा,मनीष शर्मा,ललित त्यागी,कुलदीप शर्मा,मुकेश तायल,मनोज जैन,प्रभात गुप्ता,ललित अग्रवाल,विकास गुप्ता बिट्टू शर्मा,बृजेश राजपूत,किशोर गोयल ,बलराम अग्रवाल,विनोद शर्मा,दयानंद शर्मा, राजाराम गुप्ता,नरेश गौतम,कुलबीर कर्णवाल आदि भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।