मुजफ्फरनगर न्यूज़ : नरेश टिकैत बोले- 2014 में भाजपा को वोट दी, पर अब सुनवाई नहीं
मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में किसानों की भीड़ जुटती रही है।
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‘जयंत उम्र में हमसे छोटा है। हम उस परिवार के साथ रहे, लेकिन जयंत ने अचानक निर्णय ले लिया, अच्छा नहीं लगा। हमने 2014 में भाजपा को वोट दी। सरकार बनाई, लेकिन अब सुनवाई नहीं हो रही है। 17 अप्रैल को सिसौली गांव में किसान भवन पर भाकियू की पंचायत है। इसमें कई राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष और प्रमुख लोग आएंगे। इसी में तय करेंगे कि इलेक्शन में वोट एकमुश्त देंगे या स्वतंत्र रूप से देंगे।’

ये कहना है भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत का। नरेश टिकैत का बयान इस वक्त इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वेस्ट यूपी की किसान बेल्ट के कई लोकसभा प्रत्याशी किसान भवन सिसौली में आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं। ये आशीर्वाद किसे मिलेगा, ये तो वक्त ही बताएगा।

मुजफ्फरनगर जिले में गांव सिसौली के किसान भवन को किसानों की राजधानी भी कहा जाता है। क्योंकि भाकियू संस्थापक बाबा महेंद्र सिंह टिकैत यहीं जन्मे। आज इसी सिसौली भवन की चौखट पर प्रत्याशी आशीर्वाद पाने पहुंच रहे हैं।

सवाल : चुनाव में सारे प्रत्याशी पहुंच रहे हैं, किसको आशीर्वाद देंगे?
जवाब :
 उनका हक है यहां आने का। इसे राजनीति से जोड़कर न चलो। सबको उम्मीद है। सबकी आस्था है और आस्था रहनी भी चाहिए। रही चुनाव की बात तो हम थोड़े में सिमटकर नहीं रहते। हमने 2014 में भाजपा को समर्थन दिया। इसमें कोई दोराय नहीं है। पर अब अच्छा नहीं लगा। इस सरकार में सुनवाई कम है। हमने वोट दी, सरकार बनाई, पर सुनवाई नहीं है।

सवाल : दर्द किस बात को लेकर है?
जवाब : 
13 महीने का किसान आंदोलन रहा। उसका दर्द है। किसानों की उस वक्त की कोई लंबित मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है। पंजाब बॉर्डर पर किसान धरने पर बैठे हैं। कोई उनकी सुध नहीं ले रहा। सरकार में काम भी भतेरे हो रहे खैर। हम ये नहीं कह रहे। सड़कें भी अच्छी हैं। प्रदेश में बिजली का रेट ज्यादा है, पर दिन में किसानों को बिजली मिल रही। जो बात है, वो तो कही जाएगी।

सवाल : चुनाव में सिसौली भवन का रूख क्या रहेगा?
जवाब : 
इस बार अभी कोई संदेश नहीं दिया जाएगा। 17 अप्रैल को भारतीय किसान यूनियन की पंचायत है। उसमें निर्णय लिए जाएंगे। चार-पांच राज्यों के अध्यक्ष और कुछ खास लोग उसमें आएंगे। उसमें हम सुलह-मशविरा करेंगे। हम अकेले को फैसले लेने का ज्यादा अधिकार नहीं है।

सवाल : जयंत चौधरी एनडीए में चले गए, क्या मानते हैं?
जवाब : 
जयंत से हमारी नाराजगी नहीं है। लेकिन हां, जिससे थोड़ा लगाव होता है। जयंत उमर में हमसे छोटा है। उस परिवार के साथ हम रहे। चाहें चौधरी चरण सिंह हों या चौधरी अजित सिंह। लेकिन जयंत ने एक साथ निर्णय ले लिया, अच्छा नहीं लगा। चलो उसे ठीक लगता होगा। पर जनता की भावना है, उन्हें अच्छा नहीं लगा।

सवाल : किसानों के मुद्दे ज्यों के त्यों हैं, आप सुस्त पड़े हैं?
जवाब : 
पंजाब बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन तो चल ही रहा है। चुनाव में शोर मचाएंगे तो लोग तरह-तरह के आरोप लगाएंगे। सत्ता से उम्मीद तो रहती ही है। जो राजा है, राजा को तो बात कही जाएगी। राजा को भी जनता की बात सुननी चाहिए।

सवाल : इस चुनाव में भाकियू का फैसला क्या रहेगा?
जवाब : 
हम फिर कह रहे कि हम सुलह करेंगे। सुलह बिना कुछ नहीं है। मुझे अपने वोट का राइट है। मैं अपने घरवालों को भी नहीं कहता। सब अपना चुनाव लड़ रहे। मैं वोट दे भी सकता हूं, नहीं भी दे सकता। न किसी को बता सकता कि वोट कहां दी। इतना कहूंगा कि अपने मतदान का प्रयोग करेंगे, वोट करेंगे।

मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में किसानों की भीड़ जुटती रही है।

  • ऐसा सिर्फ प्रत्याशियों के लिए नहीं है कि वे सिसौली में किसान भवन पहुंच रहे हैं। यहां तमाम VVIP आ चुके हैं।

सिसौली भवन पर दो प्रधानमंत्री भी आए

11 अगस्त 1987 : तत्कालीन CM वीर बहादुर सिंह 29 मई 1990 : तत्कालीन उप प्रधानमंत्री देवीलाल 11 दिसंबर 1990 : तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 15 सितंबर 1994 : तत्कालीन CM मुलायम सिंह 09 अगस्त 1996 : तत्कालीन प्रधानमंत्री देवगौड़ा 04 मार्च 2001 : पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह

तीन बार चुनाव लड़ा, हर बार हारा टिकैत परिवार
भाकियू संस्थापक टिकैत परिवार से चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के भाई भोपाल सिंह ने 90 के दशक में दिल्ली से कांग्रेस प्रत्याशी बनकर चुनाव लड़ा, लेकिन वे हार गए। 2007 के विधानसभा चुनाव में भाकियू के मौजूदा राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मुजफ्फरनगर जिले की खतौली सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद साल-2014 में राकेश टिकैत ने अमरोहा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार भी जीत नहीं पाए।

सफल नहीं हुआ भाकियू का राजनीतिक विंग
साल-1996 में हरिद्वार में किसान पंचायत हुई। इसमें 17 जून को भारतीय किसान यूनियन की राजनीतिक विंग ‘भारतीय किसान कामगार पार्टी’ का ऐलान हुआ। इसकी कमान चौधरी अजित सिंह को मिली। इसके बाद भाकियू कार्यकर्ता राजपाल बालियान खतौली विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीत गए।

साल-2004 में इसी किसान भवन सिसौली से ‘बहुजन किसान दल’ का गठन हुआ। लेकिन राजनीतिक क्षेत्र में सफलता नहीं मिली। इसके बाद खुद टिकैत परिवार ने कई दफा राजनीति में आने के प्रयास किए, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब बीते कई साल से भाकियू राजनीति से दूर है।


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