मणिपुर : कुकी उग्रवादियों ने सेंट्रल फोर्स की चौकी पर बम फेंका, 2 अन्य जवान जख्मी
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मणिपुर में CRPF के 2 जवान शहीद

मणिपुर में लोकसभा चुनाव की वोटिंग के ठीक 6 घंटे बाद शुक्रवार-रविवार रात विष्णुपुर जिले में कुकी उग्रवादियों के हमले में CRPF के दो जवान शहीद हो गए। घटना में दो जवान घायल भी हुए हैं। इनका इलाज इंफाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (RIMS) में चल रहा है।

मणिपुर पुलिस के मुताबिक, कुकी समुदाय के उग्रवादियों ​​​​​ने देर रात 12:30 बजे से लेकर 2:15 बजे के दौरान मैतेई बहुल गांव नारानसैना की ओर फायरिंग की और बम भी फेंके। यहां CRPF की चौकी के अंदर दो धमाके हुए। सुरक्षाबलों ने भी जवाबी कार्रवाई की और हमलावरों को खदेड़ दिया।

घटना में CRPF की 128वीं बटालियन के इंस्पेक्टर जादव दास, सब इंस्पेक्टर एन सरकार, हेड कॉन्स्टेबल अरूप सैनी और कॉन्स्टेबल आफताब हुसैन घायल हो गए। इनमें एन सरकार और अरूप सैनी की इलाज के दौरान मौत हो गई।

बिष्णुपुर जिला इनर मणिपुर लोकसभा क्षेत्र में आता है। यहां 19 अप्रैल को पहले फेज की वोटिंग के दौरान भी फायरिंग, EVM में तोड़फोड़ और बूथ कैप्चरिंग की वारदात हुई थी। फायरिंग में 3 लोग घायल हुए थे। 26 अप्रैल को आउटर मणिपुर सीट के लिए कुछ इलाकों में वोटिंग हुई थी। हालांकि तब हिंसा की कोई वारदात नहीं हुई।

           

मणिपुर के सिनम कोम में दो गुटों के बीच गोलीबारी में एक की मौत
दूसरी तरफ, मणिपुर के कांगपकोपी और इंफाल ईस्ट जिलों के बॉर्डर पर सिनम कोम गांव में भी शुक्रवार रात दो गुटों के बीच गोलीबारी हुई। इसमें 33 साल एक विलेज वालंटियर की मौत हो गई।

पुलिस ने बताया कि मृतक की पहचान लैशराम प्रेम के रूप में की गई है। गोलीबारी के बाद से लैशराम लापता था। शनिवार सुबह उसका शव बरामद किया गया।

कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।

मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।

नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।

सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।


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By LALIT SHARMA

मैंने पंजाब केसरी से पत्रकारिता की शुरुआत की थी, जहां मैंने करीब एक साल कार्य किया। इसके बाद नवोदय टाइम्स के लिए मेरठ ग़ज़िआबाद और नॉएडा । मेने पत्रकारिता में जंतर मंतर पर कई बड़े धरना प्रदर्शन कवर किए। इसके बाद 2021 में मेने ग़ज़िआबाद से PHM NEWSPAPER की शुरुवात की । मेने 2020 में लॉकडाउन से लेकर किसान आंदोलन तक की कवरेज की और अभी आगे का सफर जारी है